Thursday 8 October 2015

दुआओं में याद आएंगे....


इस दुनिया से जाते वक़्त आप दुनिया को क्या दे कर जायेंगे। नहीं नहीं सोच कर बताइए तो जरा। ह्म्म्म पहले तो आप ये ही सोच रहे होंगे की मैं इतना बेतुका सवाल क्यों पूछने लगी। वैसे सोचने वाली बात भी है हम में से कौन होगा जो अपने ही अंत के बारे में सोचेगा । ठीक भी है जो बातें दुःख दे वो सोचना ही छोड़ देना चाहिए। अच्छा चलिए एक और सवाल आपको सिर्फ सोचना भर है फ़र्ज़ कीजिये किसी दिन आप अपने ऑफिस या फिर कॉलेज को निकल रहे हो और एक तेज़ रफ़्तार ट्रक आपको टक्कर मार के निकल जाये। आप उठने तक की हालत में न हो और बेहोश किसी सड़क पर पड़े हो । आँख खुली तो अपने पाया की आप अस्पताल में हैं और आपके सारे चाहने वाले आपके होश में आने का इंतज़ार कर रहे हो । जैसे ही आप उठे सबको मानो नया जीवन मिल गया हो। कुछ समय बाद आपको पता चला कि आपकी जान बचने में डॉक्टर के अलावा एक और शख्स का हाथ है , जो इस दुनिया से जाते जाते आपको नयी जिंदगी दे कर गया ।आपको उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है यह सोच भर ही आपकी आँखों में आंसू आ गये। आपने न जाने कितनी बार दुआओं में उस इंसान को शुक्रिया किया जिसने आपको जीवन दिया। चलिए चलिए अब सोचने से बाहर आ जाइये । ये तो सिर्फ आपको बताने के लिए था कि हम् में से हर कोई कभी भी किसी भी हालत में हो सकता है। क्युकी दुर्घटनाये हमे पता नहीं होती की कब हो जाये और शायद इसीलिए आज मेडिकल ने इतनी तरक्की कर ली है कि समय रहते हमे बचाया जा सकता है।
ऐसा ही एक और वाकिया नीलम के साथ भी हुआ। बचपन से ही नीलम देख नहीं सकती थी उसकी आँखों की रौशनी ने जिन्दगी में भी अँधेरा कर दिया था। डॉक्टर्स ने आँखों के प्रत्यारोपण की बात कही पर उसका खर्च उठाना नीलम के पिता के लिए आसान नहीं था । लेकिन किसी भले आदमी के अंग दान की वजह से नीलम को नयी आँखे मिली अब वो भी सब कुछ देख पा रही थी जो हम देख सकते है। दोस्तों ऑर्गन और आई डोनेशन आज न जाने कितने लोगो को नयी ज़िन्दगी दे रहा है लेकिन बहुत ही कम लोग आज भी आगे आ कर इसकी पहल करते हैं। ऑर्गन डोनेशन के लिए आज हर अस्पताल में डिपार्टमेंट बनाये गए है जहा जा कर हममे से कोई भी इसके लिए अप्लाई कर सकता है। हमारे देश में आज भी मृत्यु से जुडी कई भ्रांतियां है । यही नहीं हम मरने के बाद के जीवन की भी बात करते है लेकिन उसका कोई सही प्रमाण अभी तक नहीं मिल सका है। अभी कल ही मैंने ऑर्गन डोनेशन के लिए रजिस्टर किया और तब मुझे पता चला की केवल मेरे शहर में इसके लिए रजिस्टर होने वालो में मेरा नंबर केवल चौथा है। हम आये दिन विकास की बात करते है खुद को बहुत ही एडवांस बताते है फिर इनके लिए आगे क्यों नहीं आते। मुझे भी बहुत लोगो ने सराहा तो किसी ने बुरा भी कहा शायद ये महान बन्ने का जरिया हो उनके लिए या फिर मेरा पागलपन ।
कुछ भी हो मेरे जाने के बाद ही सही कीमत दुनिया जान जाएगी। दोस्तों क्या आप जानते हैं की सिर्फ हमारे भारत देश में हर साल 5 लाख से भी ज्यादा लोग अपनी जान इसलिए गँवा देते है क्युकी उनके शरीर के कुछ महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर देते है । समय पर उन्हें दुसरे अंग नहीं मिल पाते और वो बचाए नहीं जा पाते। ऑर्गन डोनेशन से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे एक सज्जन ने मुझे बताया कि देश में साल भर में करीब पांच हज़ार किडनी ही ट्रांसप्लांट हो पाती है जबकि 75000 लोगो को इसकी आवश्यकता होती है आप समझ ही रहे होंगे कितने लोग अपनी जान युही गँवा देते है। वही पचास हज़ार के करीब हार्ट और बीस हज़ार फेफड़ो की जरूरत केवल हमारे देश में पड़ती है जबकि डोनेशन के मामले में एक मिलियन में केवल 0.3 लोग ही आगे आते है। अभी बीते शनिवार को ही गुडगाँव में स्पेन, यूके और भारत के डॉक्टर ऑर्गन डोनेशन पर एक साथ आये । डी सी डी यानी कार्डिक और सर्कुलेटरी डेथ पर भारत अभी भी काफी पिछड़ा है। जागरूकता की कमी कहे या हमारी सोच हम ऑर्गन डोनेशन से कोसो दूर हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि बोहत ही नाज़ुक हालत में मरीज को अस्पताल लाया जाता है और कभी भी अगर 5 मिनट के लिए भी इंसान का दिल धड़कना बंद कर दे तो मरीज के वापस बचने की कोई उम्मीद नहीं होती लेकिन इस दौरान उसके बाकी अंग जैसे किडनी, लिवर , अमाशय , स्किन , कॉर्निया आदि किसी दुसरे मरीज को लगाया जा सकता है।
थोडा और विस्तार से बात करे तो ऑर्गन डोनेशन दो तरह का होता है एक जो व्यक्ति जीवित रहते करता है जैसे लीवर या किडनी का दान करना और दूसरी तरह का डोनेशन जो डेथ के बाद होता है जिसके बाद शरीर के कई अंग निकल कर दुसरे इन्सान को लगाये जाते है। इससे किसी और को फ़ायदा होता है साथ ही ये एक अमूल्य दान भी है। ऑर्गन डोनेशन से जुड़ने के लिए अपने किसी भी नजदीकी अस्पताल में जा कर हम उसके लिए रजिस्टर कर सकते है और एक नोबल काम कर सकते हैं। दोस्तों क्या आप जानते है की एक ब्रेन डेड इंसान आठ लोगो को नयी जिंदगी दे सकता है। आज भी अवेयरनेस कम है और हमारी सोच हमे इनसब कामो को करने से रोकती है । लेकिन जरा सोचिये तो सही कितना अच्छा होगा की एक और जिंदगी इस खूबसूरत दुनिया को हमारे कारण देख पायेगी। न जाने कितनी दुआओं में हमे याद किया जायेगा और एक फॅमिली हमारी वजह से मुस्कुरायेगी। अगर हम अंग दान को आगे आते है तो उसके साथ ही हमारे आस पास के लोग भी प्रेरणा लेंगे और इस मुहिम् में हमारा साथ देंगे। बात थोड़ी दुखी करने वाली है शायद गुस्सा भी आ जाये आपको मेरे ऊपर , लेकिन सच्चाई यही है की आज भी आफ्टर डेथ ऑर्गन के मामले में एक मिलियन में केवल 0.3 लोग ही आगे आते है। जागरूकता की कमी कहे या हमारी सोच हम ऑर्गन डोनेशन से कोसो दूर हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि बोहत ही नाज़ुक हालत में मरीज को अस्पताल लाया जाता है और कभी भी अगर 5 मिनट के लिए भी इंसान का दिल धड़कना बंद कर दे तो मरीज के वापस बचने की कोई उम्मीद नहीं होती लेकिन इस दौरान उसके बाकी अंग जैसे किडनी, लिवर , अमाशय , स्किन , कोनेशन में शहर के लोग काफी पिछड़े हैं , पढ़े लिखे होने के बाद भी हम पूर्वग्राहित है । हमारे पास बोहत से तर्क है अंग दान के खिलाफ । कुछ लोग कहेंगे ये मानव अंगो के व्यापार का तरीका है तो कुछ इसे धर्म और आस्था से भी जोड़ सकते है। वैसे सोचने पर कोई बंदिश नहीं लेकिन कौन है जो दुनिया से एक बार जाने क बाद वापस आया है या फिर अपने साथ कुछ ले गया हैं। बात सही नहीं पर गलत भी नहीं। अगर हमारा शरीर आठ अलग अलग लोगो को जीवन दान दे सकता है तो क्यों नहीं हम आगे आते क्यों हम बेवजह के तर्क देते है। अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगी इस मुहिम से जुड़े और जोड़े इस दुनिया को हमारी जरूरत है और एक नोबल काम के साथ ही ये हमारी जिम्मेदारी भी है। हम सारी जिन्दगी दुसरो के लिए करते है तो जाने के बाद क्यों नहीं। अंगदान को महानतम दान कहा गया है शायद इसीलिए ऐसे महान लोगो को भगवान् कहा जाता है। उम्मीद है इसे पढने के बाद आप जरूर ही डोनर बनना चाहेंगे। पर बताइयेगा जरूर। जूही श्रीवास्तव

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