Saturday 4 August 2018

स्तनपान बच्चे के लिए वरदान

कृति ने हाल ही में एक सुंदर से राजकुमार को जन्म दिया। एक अत्यंत ही निम्न वर्ग से ताल्लुक रखने वाली कृति के ससुराल वाले गांव के रहने वाले है। उन लोगो ने सामान्य प्रसव के लिए हर उपाय किये लेकिन समय पर ही बच्चे की धड़कन न मिलने पर डॉक्टरों ने ऑपेरशन की सलाह दी तो कृति माँ बन पाई। पांच घंटे के बाद जब बच्चे को कृति की गोद मे दिया गया तो ससुराल वालों ने ये कह कर मना कर दिया कि आपरेशन कर बाद शरीर गंदा हो जाता है इसलिये कृति को बच्चे को दूध पिलाने से बचना चाहिए। उन्होने नवजात को बोतल से दूध पिलाया और कृति सिर्फ देखती रह गयी। तीन दिनों के बाद जब कृति चलने लायक हुई तो चोरी से अपने बच्चे को स्तनपान करा पाई। ये घटना सिर्फ कृति के साथ ही नहीं कितनी ही माएँ है जो कुछ बकवास सोच और घटिया रीति रिवाजों के नाम पर अपने बच्चे को प्रसव के बाद स्तनपान कराने से वंचित रह जाती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रसव के एक घंटे के अंदर केवल 42 प्रतिशत बच्चे ही मां का पहला गाढ़ा दूध पीते है जबकि शेष बच्चे इस अमृत से आज भी वंचित रहते है। इतना ही नहीं सरकार के प्रचार के बाद भी लोगो मे स्तनपान को लेकर जागरूकता कितनी कम है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि जन्म के 6 माह तक भारत मे केवल 55 प्रतिशत बच्चे ही स्तनपान कर पाते है। बाकी बच्चे गाय के दूध या फिर फार्मूला मिल्क द्वारा ही अपर्याप्त पोषण पाते है। आज कल की लाइफस्टाइल में माँ किन्ही कारणों से छह माह तक भी अपने बच्चे को स्तनपान नही करवा पाती। इसकी भी कई सारी वजह है , कभी कभी माँ को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता जिसके कारण भी कमजोरी की वजह से वो अपने बच्चे को स्तनपान नही करवा पाती तो कभी कभी शरीर खराब न हो जाये इस वजह से भी महिलाये स्तनपान से बचना चाहती है। अक्सर देखा जाता है कि को पाउडर वाला दूध जो आसान होता है बनाने में भी और पिलाने में भी ,अधिकतर महिलाएं बच्चो के लिए पाऊडर वाले दूध पर निर्भर होती है।
स्तनपान कराने में उत्तरप्रदेश सबसे अधिक पिछड़ा जिला है जहाँ मात्र 25.4% बच्चे ही जन्म के तुरंत बाद मां का गाढ़ा पीला दूध पी पाते है जिसमे सबसे ज्यादा रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। स्तनपान में पिछड़े जिलो में राजस्थान दूसरे नम्बर पर है जहाँ मात्र 28.5 % नवजात ही जन्म के तुरंत बाद स्तनपान करते है । इतना ही नहीं स्तनपान कराने में उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली भी काफी पिछड़ा है। अब इसे लोगो का पिछड़ापन कहे या सोच का ,जन्म के तुरंत बाद और छह माह तक भी बच्चो को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा जो कि हर बच्चे का हक़ है। कभी कभी परिवार के दबाव में आ कर भी महिलाये बच्चो को 6 माह से पूर्व ही दाल चावल इत्यादि देना शुरू कर देती है जो किसी भी तरह से बच्चे के लिए ठीक नहीं होता। कभी कभी नौकरीपेशा महिलाये नौकरी की वजह से भी बच्चों को 6 माह तक भी पर्याप्त स्तनपान नहीं कराती तो कभी सामाजिक जगहों पर लोक लाज के भय से वो ऐसा नहीं कर पाती और बोतल से दूध पिलाना अधिक आसान समझती हैं। स्तनपान हर बच्चे का हक़ क्यों है? इसका जवाब इस बात से ही लग जाना चाहिए कि बच्चा जब इस दुनिया मे आता है तो उनके अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत ही कम होती है। आस पास के वातावरण और अस्पताल में तरह तरह के लोगो के छूने से बच्चे में कितने ही तरह के कीटाणु पहुचते है जो उन्हें बीमार कर सकते है। अगर जन्म के 1 घंटे के अंदर ही मां बच्चे को स्तनपान करवाती है तो बच्चे को सभी पोषक तत्व तो मिलते ही है साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। स्तनपान क्यों और कब तक - स्तनपान को ले कर लोगो के बीच बहुत सी भ्रांतियां है। कोई ये समझता है कि माँ का दूध बच्चे के लिए काफी नहीं होता तो कोई सोचता है बच्चे को दूध के साथ ही साथ पानी भी देना चाहिए ताकि बच्चे को पानी की कमी ना हो पाए। ये सभी मिथ पूरी तरह से गलत है। अगर जन्म से छह माह तक बच्चा केवल स्तनपान कर रहा है तो वही उसके लिए पूरा पोषण है। माँ के दूध में सभी तरह के गुण मौजूद है । बच्चे को गर्भ में माँ द्वारा खाये हुए भोजन से ही पोषण मिलता है और जब वह दुनिया भर आता है तो उसका पाचन तंत्र इतना मजबूत नहीं होता कि वह किसी भी प्रकार का भोजन पानी या घुट्टी को पचा सके। बचचा सिर्फ माँ का दूध ही पचा पता है और उसी से सारे पोषक तत्व ग्रहण करता है। 6 माह तक बच्चे को यदि स्तनपान कराया जाता है तो उसे किसी भी अतिरिक्त खाने की जरूरत नहीं रह जाती। अक्सर देखा जाता है कि किसी शारीरिक कमी की वजह से या कमजोरी के कारण कई माएँ बच्चो को स्तनपान नहीं करवा पाती ऐसे में वो बोतल का सहारा लेती है । किसी कमजोरी की वजह से स्तनपान न करवाना जायज़ है लेकिन बिना किसी वजह के बच्चे को इससे वंचित रखना तनिक भी सही नहीं होता। स्तनपान जन्म के 6 माह तक हर बच्चे का हक़ है।
as स्तनपान को लेकर भ्रांतियां - जन्म के बाद ही अक्सर लोग माँ को यह कह कर मना कर देते है कि इससे बच्चे को कोई नुकसान न हो जाये। लोग सोचते है कि माँ को अपना पहला दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिये और उसे बाहर फेंक देना चाहिए। यह हमारे समाज की सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम जो सोचते है उसे ही सच मानते है और उस सोच से बाहर कभी नहीं निकल पाते। बच्चे के लिए जनम के तुरंत बाद मां का दूध अमृत है इसे पिलाने से उसमे बीमारियों का नाश होता है और रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है। स्तनपान से बच्चे में अस्थमा और एलर्जी से बचाव होता है साथ ही कान में किसी प्रकार का संक्रमण नही होने पाता। डायरिया जिससे कितने ही बच्चे मौत के मुँह में चले जाते है उसे भी स्तनपान से ही रोका जा सकता है इससे बच्चे में दस्त के दौरान भी पानी को कमी नहीं हो पाती और वे पूरी तरह से बीमारी से लड़ पाते है। प्रत्येक बच्चे को ये दूध मिलना ही चाहिए। लोगो मे ये भ्रांतियां भी होती है कि बच्चे को 6 माह से पहले ही कुछ अनाज खिलाते रहना चाहिए जो कि पूरी तरह से गलत है। बच्चे का पाचन तंत्र कमजोर होता है जिस कारण वह अनाज को पचा नहीं पाता और बीमारियों का शिकार हो जाते है जिसके बाद वे उल्टी और दस्त के शिकार हो जाते हैं। संयुक्त परिवारों में अक्सर देखा जाता है कि लोग घर के काम करवाने के लिए बच्चो को बोतल का दूध पिलाने लगते है ताकि माँ अपना सारा काम निपटा सके ऐसे में बच्चे को बोतल से दूध पीना सरल लगता है और वह स्तनपान छोड़ देता है जो को पूरी तरह से गलत है। परिवार के हर सदस्य का यह फ़र्ज़ बनता है कि वह स्तनपान के लिए पूरा समय माँ को दे जिससे बच्चे में किसी प्रकार की कोई कमी न होने पाए। काम के चककर में लोग ये भूल जाते है कि बच्चे के स्वस्थ रहने में ही सभी की खुशी है। आज कल की लाइफ स्टाइल में नौकरी पेशा महिलाये अपने फिगर हो ले कर चिंतित हो जाती है कि स्तनपान से उनकी शारीरिक बनावट खराब हो सकती है जबकि ऐसा बिल्कुल ही गलत है। स्तनपान से जच्चा का शरीर जो कि गर्भावस्था में बढ़ जाता है पुरानी अवस्था मे आ जाता है । स्तनपान से शरीर की चर्बी जल्दी निकलती है और महिलाएं पुराने फिगर में फिर से आ जाती हैं। एक बार स्तनपान करवाने से 8 किलोमीटर दौड़ने जितनी कैलोरी निकलती है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। स्तनपान से लाभ स्तनपान से बच्चे को पूर्ण पोषण मिलता है उसके शरीर मे प्रोटीन,वसा और विटामिन की पूर्ति होती है साथ बच्चो में सूखा रोग जो विटमिन डी की कमी से होता है उसकी कमी भी स्तनपान से दूर हो जाती है। बच्चे को हर घंटे पर स्तनपान करवाते रहने से उसे पानी की कमी नहीं होने पाती क्योंकि माँ के दूध में 70%पानी हो होता है जिसके बाद किसी तरह के तरल पदार्थ की जरूरत नहीं होती। बच्चे में माँ के दूध से कई तरह की बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। सर्दी जुकाम और डायरिया के दौरान बच्चे को स्तनपान करवाने से उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है इस दूध में मौजूद एंटीबॉडीज शरीर को संक्रमण से बचाते है । यह भी सही है कि जिन बच्चो ने जितने लम्बे समय तक स्तनपान किया हो उनमें मानसिक विकास तेजी से होता है और वो और बच्चों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान भी होते है | स्तनपान न केवल बच्चे के लिए अपितु माँ की सेहत के लिए भी सही होता है क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय से जो रक्तस्त्राव होता है वो स्तनपान के बाद कम हो जाता है | American Academy of Pediatrics के अनुसा नए बच्चे के पोषण और उसके विकास के लिए जरुरी तत्व आवश्यक होते है वो सब माँ के दूध में होते है। माँ का दूध बच्चे के लिए सुपाच्य भी होता है | माँ के दूध में बहुत से एंटीबॉडी होते है जो बच्चे को किसी भी तरह के इन्फेक्शन और बीमारी से बचाव करता है | अगर माँ बच्चे को नियम से स्तनपान करवाती है तो उसके भावनात्मक रूप से भी फायदे कई फायदे होते है। स्तनपान से बच्चा माँ के सबसे करीब होता है और माँ पर सबसे अधिक विश्वास करने लगता है। स्तनपान मां और बच्चे को भावनात्मक रूप में आपस में जोड़ता है | इस से आपके बच्चो को मौसमी बीमारियाँ जैसे जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों से भी बचने में मदद मिलती है | 1 अगस्त से 7 अगसत को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगो को इसके फायदों से अवगत करवाया जा सके। मातृत्व माँ और बच्चे के लिए बेहतरीन होता है क्योंकि माँ बनना किसी भी महिला के लिए सामाजिक स्तर पर एक सम्मान की बात होती है और साथ ही उसकी जिन्दगी में एक बड़ा परिवर्तन और एक तरह से प्रकृति और से एक वरदान की तरह होता है और इसके साथ ही बहुत सारी जिम्मेदारियां होती है जो माँ बनने के बाद शुरू होती है जो उस से पहले जिनके बारे में मां ने सोचा तक नहीं होता । स्तनपान जितना आसान लगता है उतना होता नहीं है जन्म के बाद अक्सर माएँ अपने बच्चों को दूध ना पिला पाने के कारण डिप्रेशन में चली जाती है । उनहे कोई सलाह देने वाला नहीं होता ना ही वे अपनी समस्या किसी से कह पाती है। अक्सर लोग महिलाओं का मजाक भी उड़ाते है जो स्तनपान करवाने में अक्षम होती है कभी कभी वे खुद को नीचा भी महसूस करने लगती है । जबकि परिवार के सपोर्ट से वे इस समस्या से निजात पा सकती है। स्तनपान के लिए धैर्य की जरूरत है और इसी धैर्य से जितना ज्यादा बच्चा स्तनपान करेगा दूध उतना ही बढ़ेगा और अंत मे मां पूरी तरह से स्तनपान में सक्षम हो जाएगी। दोस्ती स्तनपान से जुड़े फायदे और बच्चे को इससे वंचित रखने के नुकसान से बचने के लिए परिवार बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। माँ को 6 माह तक किसी भी कारण से भी स्तनपान करवाने से वंचित न रखा जाए । सही देखभाल और खानपान द्वारा स्तनपान के बीच आने वाली हर मुश्किल से बचा जा सकता है। ‌

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